चलो चले
मेरी नयी रचना
चलो चले एक कदम और
की सुबह होने को है !
चलो चले एक कदम और
की मंज़िल आने को है !!
चलो चले एक कदम और
की सूरज उगने को है
चलो चले एक कदम और
की बर्फ पिघलने को है !!
चलते रहो की ऊबन के आयाम के आगे भी कुछ है !
चलते रहो की लहू में ऊबाल आने को है !!
चलते रहो की सुबह होने को है !!
रचनाकार :
सत्येंद्र (सत्य )
मेरी नयी रचना
चलो चले एक कदम और
की सुबह होने को है !
चलो चले एक कदम और
की मंज़िल आने को है !!
चलो चले एक कदम और
की सूरज उगने को है
चलो चले एक कदम और
की बर्फ पिघलने को है !!
चलते रहो की ऊबन के आयाम के आगे भी कुछ है !
चलते रहो की लहू में ऊबाल आने को है !!
चलते रहो की सुबह होने को है !!
रचनाकार :
सत्येंद्र (सत्य )
1 Comments
great
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