#कलमसत्यकी ✍️
"माँ” एक ऐसा शब्द है जिसे दुनिया का प्रत्येक बच्चा अपने जुबान से इस दुनिया में आने के बाद सबसे पहले लेता है।
पिता जी और माँ इस दुनिया में भगवान के वो रूप हैं जो बिना किसी स्वार्थ के हमें पालते है, पढ़ाते लिखाते है, स्कूल कॉलेज भेजते है और हमेशा भगवान से यही मांगते हैं की हमारा बच्चे पर कोई आंच न आये और उसे हर सफलतामिले।
माँ अपने बच्चो के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहती है| मनुष्य में ही नहीं हर प्रकार के जीव जंतु में यही होता है| अगर बच्चे पर आंच आने वाली होती है तो माँ सबसे पहले आगे आ जाती है.
माँ अपने बच्चो के भविष्य के लिए सबसे ज्यादा चिंतित होती है और माँ से ज्यादा कोई बच्चे को प्रेम नहीं करता है.
माँ अपने बच्चे से ज्यादा प्रेम तो करती है मगर जब पता चलता है की बच्चा गलत रास्ते पर चल रहा है तो माँ एक गुरु की तरह उसे अपने पास बुला कर समझाती है और जरूरत पड़ने पर उसे दो हाथ भी लगा देती है.
माँ से बढ़ कर इस दुनिया में कोई नहीं होता है और यदि माँ न हो तो ये दुनिया रेगिस्तान के बराबर है। माँ को कभी ठेस नहीं पहुंचानी चाहिये.
दोस्तों, मां को समझना बहुत मुश्किल है,मां के लिए लिखना उससे भी मुश्किल परंतु लिखने की जरूरत आ चुकी है।
मां को समझने की जरूरत आ चुकी है, हाँ ,हम माँ से दूर होते जा रहे हैं। माँ, हमसे दूर होती जा रही है तभी तो यह समस्याएं हैं दोस्तों, सब से यही कहना चाहता हूं 24 घंटे में कुछ समय मां के पास बैठो, मां से सीखो ,मां से पूछो ,माँ रास्ता दिखाएंगी और जब माँ रास्ता दिखाएंगी तो समझते हैं,रास्ते अपने आप सुलझ जाएंगे, समाज बदलने लगेगा,सूखे हुए फूल जो मुरझा गए हैं ना फिर खिल जाएंगे, हां वो खिलखिलाजायेंगे।
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