अपने मुँह तुम्ह आपनि करनी।
बार अनेक भाँति बहु बरनी।।
अपने ही मुँह से,अपने कर्मो की तारीफ़, बार बार करना वो भी भिन्न भिन्न तरीको से.... क्या हर समय ये अच्छा लगता है?
क्या यही नहीं हो रहा इस समय संसार मे?
मै यह बात सिर्फ आत्म अवलोकन के लिये लिख रहा हूँ।
किसी व्यक्ति विशेष आदि के लिये नहीं......
यही कारण है की सोशल मिडिया का अतिसय प्रयोग करने से मै बचता हूँ।
काफी मित्र आदि पूछते हैं आजकल सामाजिक सहभागिता कम हो गयी क्या?
नहीं बिलकुल नही, परिवार और समाज दोनो की जिम्मेदारी अपने पुरूषार्थ और समझ के अनुसार गतिमान है पर हर बार सोशल मीडिया पर मे बताया जाय ये कोई जरूरी नहीं।
मै विरोध भी नही करता।जिसको जैसे मर्जी इस्तेमाल करे।
ये एक डिजीटल पुस्तक है,आभासी और सच मे अपने यहां पर मौजूद है।
नोट: ये मेरे व्यक्तिगत विचार है।😊🙏
मेरा देश मेरा दायित्व।
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