#कलमसत्यकी✍️
हम इंसान अजीब हैं।
टूट पड़ते हैं किसी भी चीज पर,मतलब की सोचना नहीं हैं बस हाजिरी लगा देनी है।अब रिजल्ट जो भी हो। भावनात्मक सफलता गयी भाड़ मे।फोटो रखे रहते हैं ,बस समय मिला और चिपका दिये,माने हर चीज में,हर दिन मे।
हर चीज को ईवेंट बना दिये हैं।
लो अब मैं बोला तो बुरा कि आप तो हर चीज मे कमी निकाल दिये। मैं वैसे निकालता नहीं हूँ।
मेरी आदत है, थोडा़ ज्यादा बोल देता हूँ,छोटी सी बात में भी,मतलब बच के निकल लेना चाहिये,पर मैं लगता हूँ ज्ञान देने।
पर ऐसा है नही,आप समझिये ,इस धरती पर सारी समस्या का जड़ कौन? हम हैं ! इंसान है ! पर सारी महानता के उदाहरण प्रस्तुत कौन करता है ?हम ही प्रस्तुत करते हैं! हंसी आती है! मतलब पहले समस्या पैदा करो फिर, उसको सुधारने का स्वांग!
प्रत्येक #Day Celebration का इतिहास अलग होता पर भारत भावनात्मक देश है।यहां हर चीज का स्वरूप बदल जाताहै।
खैर एक #Day पर आते हैं वो किन औलादों की माँ हैं जिन्हें मैं सड़क से उठा कर लाया या जो वृद्ध आश्रमों मे रह रही हैं ?
जाहिर है,हम सबकी नही होंगी,नही तो हम ये पोस्ट तो नही कर रहे होते,या फिर जो भी हो...क्या कहूँ।
आश्रमों मे भी वही हाल है , कोई आश्रम पैसा कमाने के लिए खोल कर बैठा है तो कोई सेवा भाव के लिए खोल तो दिया है और उसके पास खुद समय नहीं है ।
उसने मैनेजर ,कर्मचारी, आदि रख दिये हैं,कहने का मतलब उस माँ या वृद्धजन को प्रेम तो नहीं मिलना है।
और यह हवा हवाई मैं नहीं लिख रहा,आप सब जानते हैं।
.....फलां #Day
क्याकहूँ......मुझे विरोधी न समझें।
माँ तो सबकी होती है।मेरी भी हैं।नीति और धर्म उनसे ही सीखा।वो सदा स्वस्थ रहें और उनकी छाया मिलती रही।
सत्येंद्र (सत्य)
मेरा देश मेरा दायित्व।
हम इंसान अजीब हैं।
टूट पड़ते हैं किसी भी चीज पर,मतलब की सोचना नहीं हैं बस हाजिरी लगा देनी है।अब रिजल्ट जो भी हो। भावनात्मक सफलता गयी भाड़ मे।फोटो रखे रहते हैं ,बस समय मिला और चिपका दिये,माने हर चीज में,हर दिन मे।
हर चीज को ईवेंट बना दिये हैं।
लो अब मैं बोला तो बुरा कि आप तो हर चीज मे कमी निकाल दिये। मैं वैसे निकालता नहीं हूँ।
मेरी आदत है, थोडा़ ज्यादा बोल देता हूँ,छोटी सी बात में भी,मतलब बच के निकल लेना चाहिये,पर मैं लगता हूँ ज्ञान देने।
पर ऐसा है नही,आप समझिये ,इस धरती पर सारी समस्या का जड़ कौन? हम हैं ! इंसान है ! पर सारी महानता के उदाहरण प्रस्तुत कौन करता है ?हम ही प्रस्तुत करते हैं! हंसी आती है! मतलब पहले समस्या पैदा करो फिर, उसको सुधारने का स्वांग!
प्रत्येक #Day Celebration का इतिहास अलग होता पर भारत भावनात्मक देश है।यहां हर चीज का स्वरूप बदल जाताहै।
खैर एक #Day पर आते हैं वो किन औलादों की माँ हैं जिन्हें मैं सड़क से उठा कर लाया या जो वृद्ध आश्रमों मे रह रही हैं ?
जाहिर है,हम सबकी नही होंगी,नही तो हम ये पोस्ट तो नही कर रहे होते,या फिर जो भी हो...क्या कहूँ।
आश्रमों मे भी वही हाल है , कोई आश्रम पैसा कमाने के लिए खोल कर बैठा है तो कोई सेवा भाव के लिए खोल तो दिया है और उसके पास खुद समय नहीं है ।
उसने मैनेजर ,कर्मचारी, आदि रख दिये हैं,कहने का मतलब उस माँ या वृद्धजन को प्रेम तो नहीं मिलना है।
और यह हवा हवाई मैं नहीं लिख रहा,आप सब जानते हैं।
.....फलां #Day
क्याकहूँ......मुझे विरोधी न समझें।
माँ तो सबकी होती है।मेरी भी हैं।नीति और धर्म उनसे ही सीखा।वो सदा स्वस्थ रहें और उनकी छाया मिलती रही।
सत्येंद्र (सत्य)
मेरा देश मेरा दायित्व।
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