मंथन-(अनेक रूप )
नारी शक्ति
#कलमसत्यकी ✍️
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इग्नोर नहीं लड़ना होगा,
तू प्रचंड काली स्वरूपा है,
दलन दुष्टों का करना होगा ।
क्यों सहे तू अन्याय भला,
क्यों छेड़े कोई मनचला,
तू राक्षस संहारनी दुर्गा है,
धड़ खंडित तुझको करना होगा।
भेड़िया कोई क्यों नोचे तुझको,
भाषा अमर्यादित बोले तुझको,
तू दिव्य ज्ञान सरस्वती है,
जवाब पलट देना होगा।
तू धात्री है तू जननी है,
तुझमे निर्माण की शक्ति है,
राह सत्य को दिखाने वाली,
तू गीता की प्रतिमूर्ति है ।
कौन भला रोके तुझको,
तू तूफानों की अभिव्यक्ति है,
धैर्य मे तुम मीराबाई,
झांसी की रानी की राष्ट्रभक्ति है।
तो शक्ति मात्र स्वरूपा है,
तू रणचंडी भाग्य विधाता है,
युगपुरुषों को गढ़ने वाली,
संस्कारों की शाला है।
ऐहसास की स्याही।
सत्येंद्र शर्मा सत्य।
#WomensEqualityDay
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