जीवन का अर्थ । कलमसत्यकी

#कलमसत्यकी✍️
यूं ही बैठे बैठे मन में एक बात आई।
आज हम सब इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि मनुष्य के जीवन में नैतिक मूल्यों का तेजी से पतन हो रहा है, कारण जो भी हो।
मैं यह भी देखता हूं कि मनुष्य जानता तो बहुत कुछ है ।अच्छा-बुरा हर ज्ञान है उसे,परंतु मैं आश्चर्यचकित इसलिए रह जाता हूं कि धरती पर रहने वाले हम प्राणी हर उस चीज को धारण करना चाहते हैं और धारण करते भी हैं जिसकी बुराई भी हम सबसे ज्यादा करते हैं।
ज्यादातर लोग शराब,तंबाकू,नशे की वस्तु और काम वासना आदि की बुराई करते नजर आते हैं और शाम होते-होते इन्हीं के पीछे दौड़ते भागते नजर आते हैं।
इसी में डूबते नजर आते हैं।
सभी को मालूम है कि योग, आध्यात्म,महापुरुषों की जीवनगाथा,सतमार्ग और संतोष से ही जीवन की नैया पार लगनी है परंतु इसको धारण करने में लोग अति व्यस्त और नीरस जान पड़ते हैं।
कुछ तो बस दिखाते हैं कि वे महान है ,आडंबर करते है परंतु इससे उनका जीवन और भ्रमित होता चला जाता है।
दोस्तों बात ये है कि सत्य जानने से काम नहीं चलने वाला,ये कहने मात्र से की मै सब जानता हूँ से काम नही चलने वाला , सत्य धारण करना होगा और तभी देश और मनुष्यों के नैतिक मूल्यों का विकास होगा ।
सभी को मालूम है की श्रीमद् भगवतगीता क्या संदेश देती है, स्वामी विवेकानंद जी का क्या संदेश है,महान ग्रंथ क्या कहते हैं,देश के लिये जान देने वाले क्या कह गये और सबको ये भी मालूम है कि समाज को कौन सी चीजें नष्ट कर रही हैं परंतु लोग किसे धारण कर रहे हैं ये हम सब देख रहें हैं। 
सत्येंद्र शर्मा सत्य। 
(संग्रह-मेरे विचार)

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