कलमसत्यकी। समाज और प्रेरणाश्रोत।

#कलमसत्यकी ✍️
दोस्तों आज एक बड़ा गंभीर विषय है कि हम समाज में कैसे जीना चाहते हैं और हम किसको अपना प्रेरणास्रोत बनाते हैं ।
आपको नहीं लगता कि हम समाज उन लोगों को प्रेरणा स्रोत बना रखे हैं जो सिर्फ धन के पीछे भाग रहे हैं ।
क्या आप इस बात से इंकार कर सकते हैं कि आज हम धन के पीछे भाग रहे हैं।
बॉलीवुड में काम करने वाले कलाकार,क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी और तमाम ऐसे सेलिब्रिटी जो पैसे के लिए किसी भी चीज का प्रचार करते हैं उन्हें हमने अपना हीरो बना रखा है।
क्या हमारे और आपके बच्चे सही दिशा में जाएंगे?
आज देश की सबसे बड़ी समस्या क्या है ?
भ्रष्टाचार,बलात्कार,प्रदूषण और भिक्षावृति !
है कि नहीं आप ही बताइए!
हम इसको समाप्त करने के लिए क्या कर रहे हैं?
समाज को बदलने से पहले खुद को बदलना ज़रूरी है, दुनिया को बदलने से पहले खुद को ठीक करना ज़रूरी है।
यह बिलकुल ऐसा ही है कि हमें जब ट्रैफिक पुलिस वाला पकड़ता है और चालान करने करने लगता है तो हम सौ रुपए देकर अपनी जान छुड़ाते हैं।
ऐसे में हम क्या करते हैं? चूंकि चालान पांच सौ रुपए का होता, इसलिए हमने चार सौ रुपए बचा लिए। ज़ाहिर है हम उस ट्रैफिक वाले से चार गुणा ज्यादा बड़े चोर हैं। ऐसे में हम किस समाज के बदलाव की बात करते हैं।”
समाज में जिस बदलाव की सबसे ज्यादा ज़रूरत है वो है लोगों के मन में सुरक्षा का भाव आना।जिसकी शुरुआत घर से होती है। ऐसा क्यों नहीं होता कि हम अपने घरों में अपनी बेटी को अकेले रहने देते हैं। वजह है असुरक्षा। जिस दिन हम ऐसा करने लगेंगे उस दिन समझा जाएगा कि बदलाव आ रहा है समाज में। इसलिए समाज को तभी बदला जा सकता है जब हमारी मानसिकता बदलेगी।
छोटे-छोटे बच्चों को भीख कौन देता है और वही बच्चे जब बड़े होकर भीख मांगते है तो हम ही  ज्ञान देते हैं,हट्टे कटे होकर काम क्यों नहीं करते? 
जब वो छोटा था तो हमने ही भीख दिया।  
कपड़े का झोला लेकर के जब हम बाजार में निकलते हैं  तो हमें कितनी खुशी मिलती है परंतु पॉलिथीन की थैलियों में सामान लेकर घर कौन आता है।
हम और आप ही तो पॉलिथीन की थैलियों का इस्तेमाल करते हैं।
दोस्तों मैं फिर यही कहूंगा कि आइए आत्म चिंतन करते हैं कि क्या हम सही दिशा में काम कर रहे हैं!
ऐसा तो नहीं कि हम धन कमाने के चक्कर में बाकी चीजों को छोड़कर चले जा रहे हैं!!
सत्येंद्र शर्मा सत्य।
असहाय वृद्ध जनों की सेवा के लिए समर्पित। 
पर्यावरण मित्र। कपड़े का झोला।

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