#मुझे #उड़ने #दो
मुझे उड़ने दो,
अपने पंखों को खोलकर,
फैले आसमाँ को,
अपने आंचल मे,
भरने दो।
मुझे उड़ने दो,
अपने मस्तिष्क के उर्जा से,
तीमिर मिटाकर,
अपनी राह खुद ही,
चुनने दो।
मुझे उड़ने दो,
शक्ति स्वरूप प्रतिमूर्ति हूँ मै,
दुष्टों की संहारक भी,
मुझे जहान नया,
बुनने दो।
हाँ,
मैं पतंग नही,
ना कठपुतली,
की थामे डोर ,
अन्य कोई ।
मै जननी हूँ,
पथ प्रदर्शक भी ,
अदम्य बल की पुंज हूँ मैं,
मुझे "पार्थ" भांति ही नेतृत्व,
करने दो।
हाँ मुझे उड़ने दो।
#कलमसत्यकी ✍️
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