#कलमसत्यकी

जो मै दिखलाता हूँ, 
बस उतना ही मानते हो,  
अच्छा चलो बताओ ,
मेरे बारे मे क्या जानते हो? 

बिना मिले, बिना जाने, 
क्या हूँ मै, कैसे जान गये, 
सत्य का पुजारी, 
या देशभक्त,
बतलाओ कैसे मान गये। 

हर फोटो सच ही बोले, 
संभव यह बात नहीं, 
परख लो देखकर, 
आँखों से झटपट, 
आसान ये बिसात नहीं। 

चलना जिसको चाल अनोखा, 
रचता वह षडयंत्र नया, 
फोटो-विडियो के पकवानों मे, 
शीरा तगड़ा मिला रहा है। 

फुर्सत कहाँ कोई सत्य को साधे,  
हर कोई अपने ही धुन मे नाचे, 
समय कहां कोई खुद मे झांके, 
झूठी तारीफों के पीछे भागे, 
चरित्र-निर्माण और राष्ट्र की बातें,
ताम-झाम के इस नगरी में, 
दीमक चाट रहीं  किताबें ।











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