#काव्य
#पर्दे #के #पीछे #की #कहानी
पर्दे के पीछे की भी कहानी निकल आएगी,
वो मिल जाए तो फूटी किस्मत भी बदल जाएगी ।
आरजुओं के दीये क्यों जलाता है तू सत्य?
हर बार की तरह इस बार भी इंतहा हो जाएगी!
आते जाते हवाओं से अपने गम की चर्चा मत कर,
हाँ, उस पार भी तेरी कहानी सरेआम हो जाएगी।
इस बार जो गए तो लौट के ना आना साहिबा,
जो अबकी मिले तो आंखें समंदर हो जाएगी ।
कोई तो बताए उसका हाल-चाल एक बार,
क्या उसके इंतजार में उम्र यूं ही गुजर जाएगी?
ये उबन,ये तपन,रूठे हुए बेजार मौसम की क्या औकात,
वो आए तो सही, बहारें खुद ब खुद लौट आएंगी ।
अनजान शहर में तू किसे तलाश करता है सत्य,
उसका नाम तो ले,गलियां तुझे खुद ब खुद गले लगाएंगी।
रचनाकार :सत्येंद्र उर्मिला शर्मा।
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