जब मेहनत का फल

#कलमसत्यकी ✍️ #काव्य #संग्रह 
एहसास की स्याही भाग-2
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जब मेहनत का फल,
देना है शिवा को,
तो किसी को जी-जी,
क्यों करना ,
और जब यहाँ तक,
आ गए उस के दम पर ,
तो आगे फिर काहे,
किसी को,
जी-जी काहे करना।।

जो जिये यारों, 
राणा की तरह,
और मरे तो,
रानी लक्ष्मीबाई की तरह,
जब चिंता नहीं कफन की,
तो किसी की जी-जी क्यों करना,
यहाँ तक आये शिवा के दम पर,
तो आगे भी फिक्र क्या करना।।

चार दिन की जिंदगी में,
काहे इतना उलझन लेना,
भगत सिंह को चाहने वालों को,
कहाँ कोई पेंशन लेना,
जान रही अपने दम पर तो,
मरने के लिए क्या जी-जी करना।

अतीत को लेकर शोक मनाए,
हम वैसे इंसान नहीं,
असत्य के सामने सर झुकाए,
हम इतने बेजान नहीं,
मरने के बाद कोई,
शोक संदेश गाये, 
इसके लिए क्या जी-जी करना।।

रचनाकार 
सत्येंद्र उर्मिला शर्मा। 
संस्थापक 
मेरा देश मेरा दायित्व
वृद्धजनों की सेवा- पर्यावरण सुरक्षा ।

#संघ #गीत #देश #प्रथम

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