ये आधी रात तेरी,
ये आधा रात मेरा,
हम दोनों का,
ये सवेरा।।
तेरा सब कुछ मेरा,
मेरा सब कुछ तेरा,
हम दोनों का ,
ये बसेरा।।
खुशी तेरी,
गम मेरा,
हम दोनों का,
ये परेरा।
तू नाराज तो मै मनाउँ,
मै नाराज तो फिक्र तेरा,
हम दोनों का,
ये निगहबानी,
तेरा और मेरा।।
आलम हो जीवन का,
कुछ भी और कैसा,
आये कुछ भी,
हो जैसा औ तैसा,
जो किनारा हो तेरा,
वो मंजिल हो मेरा।।
कटे चाहे जैसे,
हो अच्छा या बुरा,
पूरा मिले,
या मिला सब अधूरा,
साथ ही रहेंगे,
आये सवेरा,
या हो फिर अंधेरा।।
तेरा सब कुछ मेरा,
मेरा सब कुछ तेरा,
हम दोनों का ,
ये बसेरा।।
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