#कलमसत्यकी ✍️
#समाज #संस्कार #बेटियाँ और #सुरक्षा।
महिला एवं बाल यौन शोषण की बढ़ती घटनाओं के लिए एक तरह से हम भी जिम्मेदार है और इन घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी भी हमारी है। हमें अपने लड़कों को स्कूल व कालेजों में महिलाओं के प्रति आदर भाव की शिक्षा देनी चाहिए। छोटे बच्चों को यह बताया जाना चाहिए कि गुड टच क्या है और बैड टच गया है? जिससे वे शोषण का शिकार न हों। यह मेरी टिप्पणी नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर व न्यायमूर्ति सुनीता गुप्ता की खंडपीठ ने यौन शोषण को लेकर यह बयान दिया है, जो बेहद गंभीर हैं और सत्य है।
खंडपीठ ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने भी अपने भाषण में बढ़ते दुष्कर्म के मामलों के प्रति चिंता जाहिर करते हुए समाज व माता-पिताओं को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में अवगत कराया था। ऐसे में हम आशा करते हैं कि केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार लोगों को महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध व उनके कानून के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पूरे एक्शन में काम करें।
दोस्तों यह बात समझना बहुत जरूरी है की हम किस युग मे जी रहे हैं। ये मजाक नही है। मै तो एक अदना सा सिपाही हूँ भारत का जो मेरा देश मेरा दायित्व की भावना से निरंतर लेख व कार्य करता हूँ परंतु ये समझना और गंभीरता से सबको लेना चाहिए।
मै लिख रहा हूँ क्योकि मै भी एक बेटी का पिता हूँ, यह तर्क काफी नहीं हो सकता क्योकि देश बड़ा है। हाँ बहुत वृहद और यहां पर भांति भांति प्रकार के लोग रहते हैं।
सब शायद उस बात को ध्यान मे नहीं रखते जो हम बचपन में स्कूलों में प्रण लिया करते थे कि हम सभी भारतवासी भाई-बहन हैं।जो की बहुत महत्वपूर्ण था और हमेशा प्रासंगिक रहेगा।
मिशन स्टैंड टुगेदर के माध्यम से हमने पिछले साल लगभग हर दिन रात में चौराहों पर लोगों के बीच में यह बात कही और लोगों को जागरुक करने का प्रयास किया कि कहीं गलत होते देखे तो आवाज़ उठाएं लेकिन यह हम किससे कह सकते हैं ,उसी से कह सकते हैं जो भावनाओं को समझता हो।
वक्त आ गया है की हम सभ्य समाज और बेहतरीन राष्ट्र की स्थापना के लिए हम जागरुक हो और नैतिक मूल्यों पर लगातार अपने घर में चर्चा करें अपनी बेटियों को आत्मरक्षा के गुण सिखाए जिससे वह बलात्कारी राक्षसों के खिलाफ एक मजबूत स्तंभ बन सकें।
बात बहुत है लिखने और कहने के लिये, जानते समझते तो सब कुछ हैं पर शायद अपनी बारी आने तक चुप रहना पसंद करते हैं।
यही आह्वान करूंगा की "चुप्पी तोड़ो आवाज उठाओ"।
सरकारी आंकड़े यही कहते हैं कि आज घटनाएं बाजार में कम घरों में ज्यादा होती हैऔर इस पर हमें सोचना होगा,समझना होगा,मंथन करना होगा और चिंतन करना होगा
सत्येंद्र उर्मिला शर्मा।
लेखक व समाजसेवी।
#MissionStandTogether
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#RespectWomen
MDMDT
मेरा देश मेरा दायित्व टीम।
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